बिहार में नीतीश सरकार ने पूर्ण शराबबंदी कर रखी है। इसे सख्ती से लागू करने के लिए नित नई-नै कवायत की जाती है। खुद मुख्यमंत्री जी सख्ती बरतने के लिए सख्त निर्देश देते रहते हैं। लेकिन शराब तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके ऊपर इस कानून को सख्ती से लागू करने की जिम्मेदारी है वही अगर अवैध शराब के धंधे में संलिप्त हो तो सरकार का पलीता लगाना लाजिमी है। ऐसा लगता तो यही है कि मुख्यमंत्री जी बिल्ली से दूध की रखवाली करवा रहे हैं।

सीतामढ़ी के नगर थाना पुलिस पर शराब बेचने का आरोप लगा है। पटना से आई टीम ने नगर थाने में जब जांच की तो वहां जब्त की गई शराब से ज्यादा मालखाने में शराब पाई गई है। जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि रेड मे जो शराब बरामद की जाती थी। उससे कम शराब दर्शाया जाती थी और बाकी शराब बेच दी जाती थी।
इस मामले मे जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की गई, जिसमें सीतामढ़ी के नगर कोतवाल सुबोध कुमार मिश्रा और दारोगा प्रमोद कुमार को सस्पेंड कर दिया गया।
वहीं मामले को लेकर तिरहूत रेंज के आईजी के निर्देश पर थाने मे एफआईआर दर्ज की गई है और दारोगा प्रमोद कुमार को गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया गया है।सीतामढ़ी के एसपी अनिल कुमार ने बताया कि सूचना मिली थी कि नगर थाना पुलिस शराब बेचने का काम कर रही है। इसी सूचना पर पटना से आई टीम ने छापा मारकर जांच की। जांच में पाया गया कि थाना पुलिस जब्त की गई शराब की मात्रा केस दर्ज करते समय पुलिसवाले कम दिखाते थे।
गौरतलब है कि अप्रैल, 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई थी। बिहार में शराबबंदी क़ानून के तहत अब तक कुल 116,670 मामले दर्ज हुए हैं और इस सिलसिले में 161,415 लोगों को गिरफ़्तार किया गया। इनमें से 13214 लोगों पर शराब का अवैध व्यापार कर रहे गिरोहों से जुड़े होने का आरोप है। शराबबंदी के इन तीन सालों की अवधि में कुल 50,63,175 लीटर से ज्यादा शराब बरामद की जा चुकी है।