डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कई बड़ी बातें सामने आई है। वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकिंग धोखाधड़ी में 74 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और इस दौरान कुल 71,543 करोड़ रुपये के बैंकिंग फ्रॉड हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों द्वारा धोखाधड़ी की घटना की तारीख और बैंकों द्वारा इसकी पहचान के बीच औसत अंतराल 22 महीने था।

RBI ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र सरकार को अधिशेष कोष से 52,637 करोड़ रुपये देने के बाद रिजर्व बैंक के आकस्मिक कोष में 1,96,344 करोड़ रुपये की राशि बची है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन, आय समर्थन योजनाओं की वजह से राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहनों को लेकर क्षमता घटी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 फीसदी बढ़कर 21।10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी माना है कि घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त हुई है। अर्थव्यवस्था में निजी निवेश बढ़ाने की बात पर जोर दिया गया है। RBI ने कहा है कि IL&FS संकट के बाद एनबीएफसी से वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह में 20 फीसदी की गिरावट आई है।
वहीं रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में 13.42 फीसद का इजाफा हुआ है और यह 41.03 लाख करोड़ रुपये रहा। वहीं, ब्याज से होने वाली आय 2018-19 में 146.59 फीसद बढ़कर 1.93 लाख करोड़ रुपये रही। अपने वार्षिक रिपोर्ट में RBI ने कहा है कि ब्याज से होने वाली उसकी आय 44.62 फीसद बढ़कर 1.06 लाख करोड़ रुपये रही और अन्य स्रोतों से होने वाली आय 30 जून 2019 के अनुसार, 86,199 करोड़ रुपये रही जो एक साल पहले की अवधि में 4,410 करोड़ रुपये थी।
बता दें कि आरबीआई ने सोमवार को अपने डिविडेंड और सरप्लस फंड से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का ऐलान किया है। इस फंड का इस्तेमाल सरकार इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार बढ़ाने के लिए कर सकती है। आरबीआई इस रकम का बड़ा हिस्सा यानी 1.23 लाख करोड़ रुपये सरप्लस फंड से और बाकी 52,637 करोड़ रुपये सरप्लस रिजर्व से ट्रांसफर करेगा।