डेस्क: बिहार विधानसभा का चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर में होना है, लेकिन सियासी तापमान अभी से बढ़ा हुआ है। एक तरफ एनडीए के सहयोगी लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई के सांसद चिराग पासवान नीतीश सरकार की आलोचना करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। दूसरी तरफ महागठबंधन के दलों के बीच फूट सामने आ रही है। रालोसपा के बाद हम पार्टी ने भी राजद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को कहा कि राजद महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में है। इसमें किसी को कोई शक नहीं है। लेकिन, राजद बड़े भाई की भूमिका नहीं निभा पा रहा है। यही रवैया रहा तो सहयोगी दल मार्च के बाद बड़ा फैसला ले सकते हैं।

मांझी ने कहा कि राजद अभी खुद को बड़े भाई की भूमिका निभाने में असमर्थ पा रहा है। कांग्रेस को राज्यसभा का एक सीट देने का लिखित आश्वासन दिया गया था। अंतिम समय में एक वैसे कारोबारी को टिकट दिया गया, जिसके बारे में सभी जानते हैं कि किस वजह से उन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है। यही रवैया राजद का रहा तो आने वाले दिनों में उसकी यह भूमिका बदल सकती है।
मैं महागठबंधन में राजद का मित्र हूं। इसलिए जब वे गलती करते हैं तो बोलता हूं। पहले दिन से प्रयास कर रहा हूं कि कोऑर्डिनेशन कमेटी बने। चाहे नेतृत्व हो या आंदोलन, जो भी फैसला हो सबकी सहमति से हो। इसको न मानते हुए राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का कहना है कि यहां सिर्फ लालू यादव की बात मानी जाएगी। जिसे यह स्वीकार हो वह रहे और जिसे स्वीकार न हो बाहर का रास्ता देखे। अगर राजद का रवैया ऐसा ही रहता है तो मार्च के बाद हमलोग कोई भी विकल्प तलाशने को स्वतंत्र होंगे।
बता दें कि इससे पहले आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने न सिर्फ आरजेडी को नसीहत दी, बल्कि तेजस्वी को मुख्यमंत्री का महागठबंधन का उम्मीदवार मानने से भी इनकार कर दिया। कुशवाहा ने महागठबंधन में एक कोर्डिनेशन कमेटी की मांग का भी समर्थन किया। उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि महागठबंधन की कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठक में ही तय किया जाएगा कि मुख्यमंत्री का चेहरा आगामी विधानसभा चुनाव में कौन होगा। हालांकि उपेन्द्र कुशवाहा ने स्पष्ट किया कि वे महागठबंधन में हैं और आगे भी महागठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे।